तुम गीत हो तुम गान हो तुम राष्ट्र का सम्मान हो
तुम शान हो तुम मान हो तुम सृष्टि का आह्वान हो
तुम आदि हो तुम अंत हो तुम साहसी अत्यंत हो
तुम वेद हो पुराण हो तुम ही गीता का ज्ञान हो नारी ।।
तुम राग हो तुम त्याग हो तुम एक धधकती आग हो
तुम लोरी हो, हुंकार हो तुम धनुष की टंकार हो
तुम प्रीत हो तुम मीत हो तुम ब्रह्मबेला की गीत हो
तुम हो तो चहचहाती है दुनिया, ना हो तो सब सुनसान है ।।तुम राधे हो तुम सीते हो तुम हो विकट सठ मर्दिनी
तुम यज्ञ हो, सर्वज्ञ हो तुम हो सशक्त शिखंडिनी
तुम काली हो पांचाली हो तुम हो प्रख़र तरंगिनी
तुम हो तो कृष्ण की रास है, ना हो तो कुरु संहार है
हे माधव, हे केशव, कहाँ हो तुम
पाण्डवों ने एक लड़ी थी, हम रोज़ लड़ रहे हैं , अपने हिस्से का महाभारत हम रोज़ लड़ रहे हैं । यिधिष्ठिर ने दिये यक्ष के प्रश्नों का उत्तर, जीवन के...
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